
Information related to folk dance of Haryana हैलो दोस्तों, हरियाणा मैगज़ीन से जुडने के लिए आप सबका धन्यवाद। इस पोस्ट में हम हरियाणा के लोक नृत्य (Folk Dance of Haryana) के बारें में जानकारी दी हुई है। दी गई जानकारी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में आपके लिए महत्वपूर्ण होगी। (Important For – HSSC Patwari, HSSC Clerk, HSSC Gram Sachiv, HSSC Canal Patwari, Haryana Police, HTET, HPSC & Other Exam) Click Here
हरियाणा के लोक नृत्य अपनी संस्कृति और परम्परा के अनुसार अनेक तीज-त्योहारों और फसलों से से जुड़े हुए है| ये हरियाणा के संस्कृति को दर्शाने के साथ साथ लोगों के आपसी प्रेम और व्यवहार को भी दर्शाते है| इन नृत्यों में से कोई नृत्य महिलाओ द्वारा किया जाता है तो कोई पुरुषो द्वारा और कोई पुरे समूह यानी की चार पांच व्यक्ति द्वारा किया जाता है|
हरियाणा के लोक नृत्य से संबन्धित जानकारी
Information related to folk dance of Haryana
- लूर नृत्य –
यह नृत्य फाल्गुन के महीने में लड़कियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य को पुरुष नहीं देख सकते।
इस नृत्य में गाने सवाल जवाब के रूप में होते हैं। होली के मौसम में हरियाणा के बांगर क्षेत्र में यह नृत्य सुखद वसंत ऋतू के आगमन और रबी की फसलों की बुआई के समय किया जाता है| लड़किया मुख्यत घाघरा, कुर्ता और चुडिया पहनकर डांस करती है| - धमाल नृत्य –
यह नृत्य विवाह में खुशी के अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है| यह नृत्य चाँदनी रात में खुले आसमान में मैदान में किया जाता है। यह नृत्य महाभारत काल से चला आ रहा है। यह महेन्द्र्गढ़, रेवाड़ी, झज्जर का प्रमुख नृत्य है। यह नृत्य युद्ध में जीतने कि खुशी में किया जाने वाला नृत्य है। - घोडा, घोड़ी नृत्य –
घोडा-घोड़ी नृत्य, यह शादियों में किया जाने वाला प्रसिद्ध नृत्य है| यह नृत्य ख़ुशी पर किया जाता है| इसका आयोजन व्यावसायिक आधार पर भी किया जाता है| इस नृत्य में गत्ते और रंगीन कागज से बनाया हुआ घोड़े का मुखोटा प्रयोग करते हैं| यह नृत्य भारतीय राज्य राजस्थान का भी एक लोकनृत्य है| यह नृत्य घुड़चड़ी के अवसर पर किया जाता है। - फाग नृत्य –
यह नृत्य फल्गुन के महीने में किया जाता है| फसल पककर तैयार होने की खुशी में और फसल घर आने की ख़ुशी में किसानो द्वारा ये डांस किया जाता है| यह नृत्य ढ़ोल पर औरतों और पुरुषो दोनों के द्वारा परम्परा के अनुसार रंगीन कपड़े पहनकर किया जाता है| - सांग नृत्य –
यह हरियाणा का एक लोकप्रिय नृत्य रूप है जो वास्तव में अपनी संस्कृति को दर्शाता है| यह नृत्य दस बारह व्यक्तियों द्वारा मंच पर एक साथ किया जाता है| इस नृत्य को करने के लिए पुरुष स्त्रियों का रूप धारण करते है| पुरुष स्त्रियों की तरह वेश-भूषा (सूट-सलवार, घाघरा आदि) पहनकर मंच पर खड़े होकर एक दूसरे से हास्यपद बातें करते हुए करते है| यह नृत्य धार्मिक कहानियों और लोक कथाओ को दर्शाता है| यह नृत्य काफी देर तक (पांच घंटे) चलता है और यह प्राय: गांवों की चौपालों या खुले स्थानों पर किया जाता है| - छठी नृत्य –
यह नृत्य शिशु के जन्म विशेषकर लड़के के जन्म पर भारत के कई हिस्सों में किया जाता है| परिवार और आस पड़ोस की महिलाये बच्चे के जन्म के छठे दिन इस नृत्य को करते है| पहले तो सभी औरतों द्वारा पूजा-आराधना की जाती है और रात को यह नृत्य किया जाता है| नृत्य करने और खुशी के अवसर पर एकत्र महिलाओं को महिलाओ को उबले हुए चने और गेहू वितरित किये जाते है| - डफ नृत्य –
यह नृत्य वसंत ऋतु के आगमन पर गणतन्त्र दिवस समारोह में प्रस्तुत किया गया | पहली बार इस नृत्य को सन् 1969 में किया गया| यह नृत्य श्रृंगार तथा वीर रस से प्रधान होते हैं| इस नृत्य को ढोल नृत्य नाम से भी जाना जाता है| यह हिमाचल प्रदेश का भी प्रसिद्ध लोक नृत्य है| - छडी नृत्य –
यह नृत्य पुरुषों द्वारा गुगा पीर की पूजा के समय रात्रि में किया जाता है| माना जाता है कि गोगा नृत्य को ही छड़ी नृत्य कहा जाता है। - गोगा नृत्य –
पुरे हरियाणा में गुगा (गोगा) की पूजा की जाती है| गोगा नृत्य पुरुषो द्वारा किया जाता है| हिन्दू और मुसलमान दोनों गोगा पीर की पूजा करते है| इस नृत्य में गोगा पीर के भक्त स्वयं को जंजीरों से पीटते है| गोगा को सबसे शक्तिशाली माना जाता है और इनकी पूजा में ढोल नगाड़े बजते है| विशेष रूप से यह नृत्य गुगा नवमी से एक दिन पहले व नवमी के दिन आयोजित जलूस में किया जाता है| मान्यता है कि इस नृत्य में पुरुष स्व्यम को जंजीरों से व छड़ी से पीटते है। - खेड़ा नृत्य –
यह नृत्य स्त्रियॉं द्वारा परिवार में किसी बहुत ही बुजुर्ग की मृत्यु पर किया जाने वाला नृत्य है| यह नृत्य खुशी कि बजाए गम में किया जाने वाला नृत्य है। कैथल, करनाल, जींद में यह प्रसिद्ध है। - खोडिया नृत्य –
यह नृत्य शादी के अवसर पर स्त्रियॉं द्वारा नव वधू के आगमन से पहले रात्रि में किया है| इस नृत्य को भी पुरुषों को देखने की अनुमति नहीं होती| - झूमर नृत्य –
यह नृत्य हरियाणा के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है| इसे हरियाणा का गिद्दा भी कहते है। यह नृत्य केवल महिलाओ द्वारा ही किया जाता है इस नृत्य में कम से कम दस ग्यारह महिलाये भाग लेती है| ये सभी महिलाये कभी दो-दो का जोड़ा बनाकर एक दूसरे की साथ नाचती है, कभी तीन महिलाये आगे और तीन पीछे हो जाती है, कभी गोल घूमती है| यह नृत्य स्त्रियॉं द्वारा विशेष रूप से विवाह, त्योहार तथा खुशी में किया जाने वाला नृत्य है| - तीज नृत्य –
इस नृत्य को स्त्रियॉं द्वारा तीज के त्योहार के अवसर पर किया जाता है| यह नृत्य श्रावण माह में किया जाता है। - मंजीरा नृत्य –
यह नृत्य मेवात क्षेत्र में सामूहिक रूप से मुख्यत: मुस्लिमों द्वारा किया जाता है| - रतवाई नृत्य –
यह नृत्य राज्य के मेवाती क्षेत्रों का सुप्रसिद्ध नृत्य है जिसका आयोजन वर्षा ऋतु में स्त्री पुरुषों द्वारा किया जाता है यह नृत्य गुड़गांव के नुह व फिरोजपुर-झिरका के क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय हैं| यह नृत्य डफ, नगाड़ों व मंजीरों के साथ किया जाता है। - रास नृत्य –
यह एक प्रसिद्ध नृत्य है जो संबंध भगवान श्री कृष्ण की रासलीला से जुड़ा हुआ है| यह नृत्य जन्माष्टमी के अवसर पर महिलाओं व पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं गोपियाँ बन श्री कृष्ण के चारों तरफ वृत में नृत्य करती है। इस नृत्य के दो प्रकार हैं – तांडव और लास्या| तांडव पुरुष प्रधान नृत्य है और लास्या स्त्री प्रधान नृत्य है | लास्या नृत्य को पुरुष नहीं देख सकते| यह नृत्य राज्य के फ़रीदाबाद, होडल, पलवल तथा बल्लभगढ़ आदि इलाकों में बहुत प्रसिद्ध है। - गणगौर नृत्य – यह नृत्य मुख्य रूप से हिसार और फ़तेहाबाद में प्रसिद्ध है। यह गणगौर के त्योहार पर चैत्र माह में किया जाता है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस त्योहार में महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती है।
- डमरू नृत्य – यह नृत्य महाशिवरात्री के अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
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