इस पोस्ट में Haryanvi Culture हरियाणा के संस्कृति के आम-बोलचाल के शब्द दिए गए है| जिनका चलन धीरे-धीरे खत्म हो गया है| ये शब्द हमारी हरियाणवी बोली की शान होते थे| आजकल ये शब्द केवल किताबों में ही देखने को मिलते है|
कई बार हरियाणवी बोली के शब्दों से संबन्धित प्रश्न हरियाणा से संबन्धित विभिन्न एक्जाम में पूछ लिए जाते है| हमें उम्मीद है नीचे दी गई जानकारी ऐसे एक्जाम में आपकी मदद करेगी|

हरियाणवी संस्कृति – बोलचाल के शब्द Haryanvi Culture Click Here
1 | बरही/ नेजू | कुएं से पानी खींचने की मोटी रस्सी| |
2 | दोघड | सिर पर ऊपर नीचे एक साथ दो घड़े| |
3 | पनिहारन | कुएं से पानी लाने वाली औरतें| |
4 | पनघट | वह सार्वजानिक कुआं जहाँ से पीने का पानी लाया जाता था| |
5 | सूड़ | खेत में हल चलाने से पहले की जाने वाली कटाई- छंटाई| (खरपतवार) |
6 | न्याणा | गाय का दूध निकालने के पूर्व उसके पिछले पैरों को बांधने का रस्सा| |
7 | नेता | हाथ से दूध बिलोने की रई को घुमाने वाला रस्सा| |
8 | नांगला | रई को सीधी रखने के लिए डाले जाने वाले दो रस्से | |
9 | कढावणी | हारे में दूध गर्म करने का मटका| |
10 | बिलोवना/ बिलोवनी | दूध बिलोने के लिए प्रयोग होने वाला मटका/ |
11 | जमावनी | दूध जमाने का मटका | |
12 | घीलडी | घी डालने का मिटटी का पात्र | |
13 | जामण | दूध ज़माने के लिए डाली जाने वाली छाछ | |
14 | रई | दूध बिलोने का लकड़ी का यन्त्र| |
15 | हारी | कपडे या घास से बना गोल घेरा जिस पर गर्म बर्तन रखा जाता था| |
16 | हारा | गोबर के कंडे (उपले) जलाकर कुछ पकाने का स्थान | |
17 | बांठ/ चाट/ बाखर | पकाकर पशुओं को डाली जानी वाली खाद्य सामग्री, जैसे बिनोले, ग्वार, चने आदि| |
18 | गोस्से/ उपले/ पाथिये/ थेपड़ी | गोबर के कंडे| |
19 | कोठला | अनाज डालने का मिटटी का बड़ा पात्र| |
20 | कोठली | अनाज डालने का मिटटी का छोटा पात्र |
21 | कूप/ बूंगा | चारा डालने का सरकंडों/ घासफूस से बना ढांचा| |
22 | मन्जोली | मुज़ की गठरी| |
23 | मूंज | सरकंडों में से निकला गया वह हिस्सा जिससे रस्सी बनती है| |
24 | मोगरी | मूंज. फसल आदि को कूटने की मोटी लकड़ी| |
25 | खाट | चारपाई| |
26 | प्लाण | गाडी में जोतने से पहले ऊंट की पीठ पर रखा जाने वाला एक लकड़ी का ढांचा | |
27 | कजावा | ऊंट की पीठ पर रखकर सामान धोने का एक साधन, जिसे प्लाण पर रखा जाता था| |
28 | राछ | औजार | |
29 | कूंची | ऊंट की सवारी करने के लिए उसके ऊपर रखा जाने वाला एक ढांचा| |
30 | बींड | ऊंट को हल में जोतने के लिए प्रयोग होने वाला रस्सों का जाल | |
31 | जुआ/ जूडा | ऊंट अथवा बैल को हल में जोतने के लिए प्रयोग होने वाला लकड़ी का ढांचा| |
32 | कुस/फाल | हल में प्रयोग होने वाला लोहे का उपकरण | |
33 | ओरना | बिजाई के काम आने वाला बांस से बना एक उपकरण | |
34 | बिजंडी | बीज डालने का थैला या अन्य पात्र| |
35 | हलसोतिया | बिजाई शुरू करने के दिन का उत्सव|| |
36 | हाली | हल चलाने वाला| |
37 | पंजवाल | खेत में पानी देने वाला| |
38 | पाली | पशु चराने वाला| |
39 | चीड़स | चमड़े का एक पात्र जिससे कुएं से पानी निकाला जाता था| |
40 | पूली | फसल की कटाई से समय कुछ मात्र के एक साथ बांधे गए पौधे | |
41 | दुबका | ऊंट या किसी अन्य पशु के पैरों को बांधना ताकि वह भाग न सके| |
42 | झावली | मिटटी का एक पात्र, जिसमें सामान डालते थे| |
43 | झावला | दूध गर्म करने के मटके (कढ़ावनी) को ढकने का मिटटी का पात्र जिसमें भाप निकलने को छेद होते थे| |
44 | मांडना | गेरू या रंगों से दीवारों पर की जाने वाली चित्रकारी| |
45 | साथिये | स्वस्तिक आदि | |
46 | कुंडा | मिटटी का एक पात्र जिसमें आटा गूंथा जाता था| |
47 | कुलडा | मिटटी का मटके जैसा छोटा पात्र, जो पानी लस्सी आदि डालने के काम आता था| |
48 | कुलड़ी | कुलडे से छोटे आकर का पात्र| |
49 | सिकोरा | मिटटी का एक बर्तन| |
50 | बरवा | मिट्टी का एक बर्तन | |
51 | सीठना | दामाद को गीत के रूप में दी जाने वाली गालियाँ | |
52 | खोड़िया | एक नृत्य | |
53 | बटेऊ | दामाद |
54 | लनीहार | दुल्हन को लेने आया मेहमान| |
55 | बधाण | ऊंट/बैल गाडी, ट्रक्टर ट्राली या ट्रक आदि में लादे गए सामान को बांधने का रस्सा |
56 | सांकल | दरवाजे की कुण्डी| |
57 | चूरमा | मोटी रोटी का चूरा बनाकर उसमें घी डालकर बनाया गया व्यंजन| |
58 | लापसी | आटे को भूनकर उसमें मीठा पानी मिलाकर बनाया गया गाढा व्यंजन| |
59 | पांत/ सीरा | आटे को भूनकर उसमें मीठा पानी मिलाकर बनाया गया पतला व्यंजन |
60 | कसार/ पंजीरी | आटे को भूनकर उसमें मीठा मिलकर बनाया गया सूखा पाउडर | |
61 | सत्तू | भूने हुए जौ का आटा| |
62 | बिजणा पंखी | हाथ से हवा करने का पंखा / हाथ से हवा करने की घूमने वाली पंखी| |
63 | टोकनी | पीतल का घड़ा| |
64 | झाल/ मौण | मिटटी का घड़े से बड़े आकार का बर्तन| |
65 | सुराही | लम्बी गर्दन और बीच में पानी निकालने के छेड़ युक्त घड़े के आकर का मिटटी का पात्र| |
66 | गिर्डी | पत्थर का गोल आकर का एक उपकरण जो गहाई के काम आता है| |
67 | रहट | बैलों की मदद से कुएं से पानी निकालने का एक यन्त्र| |
68 | धोरा/ धाना | खेतों में पानी बहाने का नाला| |
69 | सरकंडा/ झूंडा/ झूंड | एक प्रकार का पौधा जिस के तने और पत्ते छप्पर आदि बनाने काम में लिए जाते हैं| |
70 | छाज | सरकंडे के उपरी हिस्से तुलियों से बना एक पात्र जो अनाज साफ़ करने के काम आता है| |
71 | छालनी | लोहे से बना एक पात्र जो छानने के काम आता है| |
72 | चाकी | पत्थर से बना आटा पीसने का यन्त्र| |
73 | कीला | हाथ से चलने वाली चक्की का धुरा जिस पर ऊपरी पाट घूमता है| |
74 | मानी | हाथ चक्की के ऊपरी पाट में लगने वाला लकड़ी का टुकड़ा जो कीले पर टिकता है| |
75 | गरंड | हाथ चक्की का घेरा जिसमें पिसा हुआ आटा गिरता है| |
76 | छिक्का | घी, दूध या रोटी रखने का रस्सी का जाला| पशुओं के मुंह पर लगने वाले जले को भी छिक्का कहते हैं| |
77 | रास | ऊंट की लगाम| |
78 | हाथेली | हल का वह भाग जिसे पकड़ कर हल चलाया जाता है| |
79 | चाक | लकड़ी का बना वह गोल चक्का जिस पर रस्सी चढ़ा कर कुंए से पानी निकाला जाता है| |
80 | नोट | मिटटी के मटके आदि बर्तन बनाने का यंत्र भी चाक कहलाता है| |
81 | कहोड | ऐसी लकड़ी जो ऊपर दो हिस्सों में बंट जाती है और जिस पर चाक लगाकर कुएं से पानी निकाला जाता है| |
82 | ढाणा | कुएं से चीड़स से पानी निकाल कर जिस हौद में डाला जाता है| |
83 | खेल | पशुओं के पानी पीने की हौद| |
84 | गूण | कुएं से पानी खींचते समय ऊंट या बैल जिस गढ़े में जाते हैं| |
85 | मंडासा | कुएं के उपरी हिस्से पर बनायीं गयी दीवार| |
86 | बिटोड़ा | गोसे/ उपलों का व्यवस्थित ढेर| |
87 | पराली | चावल के पोधों का भूसा| |
88 | कड़बी | बाजरे/ज्वार के पोधों का भूसा| |
89 | तूड़ी | गेंहूँ/जौ के पोधों का भूसा| |
90 | नलाव/ नलाई/ निनान | फसल में उगी खरपतवार को निकलना |